पुखरायां कानपुर देहात कस्बा के रामस्वरूप ग्राम उद्योग परास्नातक महाविद्यालय में आज उत्तर प्रदेश राजकीय अभिलेखागार एवं संस्कृति विभाग, लखनऊ तथा रामस्वरूप ग्राम उद्योग परास्नातक महाविद्यालय पुखरायां कानपुर देहात के तत्वाधान में अभिलेख प्रदर्शनी एवं "श्रीमद् भगवत गीता और आधुनिक प्रबंधन के सिद्धांत"विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसी के साथ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ हरीश कुमार सिंह द्वारा लिखित पुस्तक"प्राचीन ज्ञान परंपरा: एक सांस्कृतिक और बौद्धिक यात्रा"का विमोचन इस संगोष्ठी के अवसर पर किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उप जिलाधिकारी भोगनीपुर ,श्री देवेंद्र सिंह विशिष्ट अतिथि प्रो अनिल कुमार मिश्रा विभागाध्यक्ष इतिहास वीएसएसडी कॉलेज, कानपुर, मुख्य वक्ता प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा, प्राचार्य चौधरी चरण सिंह पीजी कॉलेज, हैंवरा इटावा, विशिष्ट वक्ता प्रो सियाराम तिलक महाविद्यालय, औरैया, प्रो संजू सिंह प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय शहजादपुर कानपुर देहात, डॉ सुशील कुमार यादव असिस्टेंट प्रोफेसर राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर, श्री रमेश सिंह शिक्षक (गीता विचारक) पटेल इंटर कॉलेज शेखपुर कानपुर देहात, श्री विजय कुमार श्रीवास्तव रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री प्रताप नारायण अग्रवाल ने की। महाविद्यालय प्रबंध समिति के मंत्री प्रबंधक श्री श्रीप्रकाश द्विवेदी, वरिष्ठ सदस्य श्री राजेश तिवारी, पूर्व प्राचार्य डॉ एसपी तिवारी मौजूद रहे।
कार्यक्रम का संचालन इग्नू समन्वयक डॉ पर्वत सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो सविता गुप्ता ने किया। विषय प्रवर्तन करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ हरीश कुमार सिंह ने कहा कि लोक संग्रह का सिद्धांत, टीमवर्क और कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी की अवधारणा से मेल खाता है। वहीं आत्म नियंत्रण और अनुशासन सेल्फ मैनेजमेंट और वैल्यू वेस्ट लीडरशिप का मूल आधार है। इस प्रकार श्रीमद्भगवत गीता मानव जीवन और व्यवहार की मार्गदर्शिका है।
मुख्य अतिथि के तौर पर संगोष्ठी को उद्बोधित करते हुए प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि श्रीमद् भागवत गीता का प्रत्येक अध्याय,प्रत्येक श्लोक हमें अपने कर्तव्य पथ पर मजबूत इच्छा शक्ति के साथ आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करता है,साथ ही सकारात्मकता एवं नकारात्मकता की बात पर बल देते हुए कहा कि गीता का समत्व भाव हमें सकारात्मक रूप से सबको साथ लेकर चलना सिखाती है। गीता का समत्व भाव सफलता और असफलता के बीच संतुलित रहने की प्रेरणा देता है।
विशिष्ट वक्ता के तौर पर प्रो सियाराम ने अपने उद्बोधन में कहा कि निष्काम कर्म योग हमें सिखाता है कि परिणाम की चिंता किए बिना कर्तव्य निष्ट होकर कार्य करना ही सफलता का आधार है। डॉ सुशील कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि श्रीमद्भगवत गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं बल्कि मानव जीवन और व्यवहार को मार्गदर्शन देता है, इसके दार्शनिक सिद्धांत जीवन की जटिलताओं और चुनौतियों को हल करने में आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना सहस्त्र वर्ष पूर्व थे।
श्री रमेश सिंह ने अपने उद्बोधन में भावपूर्ण ढंग से श्रीमदभगवत गीता के विभिन्न प्रसंगों से छात्र-छात्राओं को रूबरू कराया। उन्होंने स्थित- प्रज्ञा की स्थिति का विवेचन किया। प्रो संजू सिंह ने कहा कि गीता मानव मात्र के लिए मूल्यवान है। विशिष्ट अतीत के तौर पर प्रोफेसर अनिल कुमार मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि आधुनिक प्रबंधन, जहां योजना, संगठन ,नेतृत्व, निर्णय क्षमता और प्रेरणा पर आधारित होता है, वही गीता इन प्रक्रियाओं को नैतिकता, मानता और कर्तव्य निष्ठा से जोड़ती है।
मुख्य अतिथि के तौर पर उप जिलाधिकारी भोगनीपुर
ने अपने उद्बोधन में कहा कि गीता से प्रेरणा लेकर इतिहास में अनेक लोगों ने समाज को दिशा दिया है उन्होंने तिलक, गांधी ,चंद्रशेखर आजाद को गीता से प्रभावित बताया। गांधी जी का संपूर्ण दर्शन गीता के आधार पर टिका है।
अभिलेखागार की ओर से श्री विजय कुमार श्रीवास्तव ने अभिलेखों के संरक्षण एवं उनकी उपयोगिता पर बल देते हुए कहा कि अभिलेख ही हमें अतीत से परिचित कराते हैं। इसलिए इनका संरक्षण हमारा नैतिक दायित्व है। इस अवसर पर प्रोफेसर मुकेश चंद द्विवेदी, श्री सदानंद सिंह, डॉ रमणीक श्रीवास्तव, डॉ प्रबल प्रताप सिंह तोमर ,डॉ रविंद्र सिंह, डॉ जितेंद्र कुमार, डॉ अंशुमान उपाध्याय, डॉ निधि अग्रवाल, डॉ शिवरीनारायण यादव, डॉ इदरीश खान, संजय सिंह, सुनील कुमार, अतुल कुमार, निखिल कुमार सहित महाविद्यालय परिवार के समक्ष शिक्षक कर्मचारी विद्यार्थी गण मौजूद रहे।