इस महाविद्यालय की स्थापना सुप्रसिद्ध गांधीवादी, मनीषी, स्वाधीनता सेनानी एवं समाजसेवी बाबू रामस्वरूप जी गुप्त की पावन स्मृति में सन् 1968-69 ई0 में हुई थी। सन् 1915 ई. में जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे उस समय देश की भयंकर गरीबी और बेरोजगारी के प्रति छटपटाहट उनके मन में थी फलस्वरूप सन् 1918 ई. में सावरमती आश्रम की स्थापना हुई तथा व्यापक रचनात्मक आन्दोलन के परिणाम स्वरूप घर-घर में चरखा, चूल्हे की तरह सर्वव्यापी हो गया। सन् 1921 ई. में खादी कार्य को असहयोग के साथ जोड़ा गया तथा 1925 ई. में अखिल भारत चरखा संघ बना। खादी क्रांति की इस पृष्ठभूमि में जब देश में खादी की मांग बढ़ी और उसकी पूर्ति नहीं हो पाती थी तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रेरणा से खादी क्रांति की सफलता हेतु बाबू रामस्वरूप जी गुप्त ने सन् 1930 ई. में विदेशी वस्त्रों की होलिका दहन के पश्चात पुखरायाँ एवं खुर्जा में खादी ग्रामोद्योग आयोग की स्थापना के पश्चात ग्राम उद्योग ट्रस्ट की स्थापना की। यह महाविद्यालय कानपुर देहात जनपद का सन् 2010 तक एक मात्र परास्नातक महाविद्यालय रहा है। जिसके द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा का आलोक मिला तथा ये शासकीय, सामाजिक, राजनैतिक आदि समाज के विविध क्षेत्रों में महत्पूर्ण उत्तरदायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। स्वर्गीय श्री राधाकृष्ण जी अग्रवाल जो कानपुर विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति तथा लोक सेवा आयोग उ.प्र. के सदस्य रहे हैं, इस विद्यालय की प्रबन्ध समिति के आजीवन अध्यक्ष रहे, उनके कुशल मार्ग दर्शन में ही इस महाविद्यालय ने पनी प्रगति यात्रा प्रारम्भ की। इस समय महाविद्यालय में स्नातक स्तर पर कला संकाय के अर्न्तगत दस विषयों एवं वाणिज्य संकाय के शिक्षण की व्यवस्था है तथा परास्नातक पर कला संकाय के अर्न्तगत दो विषयों हिन्दी व अर्थशास्त्र के शिक्षण एवं शोध की व्यवस्था है देते रहते हैं।
महाविद्यालय में राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन मुक्तविश्वविद्यालय के एक दर्जन से अधिक व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के अध्ययन की भी व्यवस्था है। महाविद्यालय में 09 स्थाई, 4 निश्चित मानदेय एवं 4 स्ववित्त पोषी योजनान्तर्गत प्राध्यापक कार्यरत हैं, जिनमें 5 महिला प्रवक्ता हैं। सभी प्राध्यापक एवं प्राध्यापिकायें अपने-अपने विषय के उत्कृष्ट विद्वान तथा उच्च उपाधियाँ प्राप्त हैं। वे सभी शिक्षण कार्य के प्रति पूरी निष्ठा से समर्पित हैं। साथ ही छात्रों के सर्वांगीण विकास हेतु उनके एकेडमी कैरियर के लिए तथा उनके रचनात्मक एवं सर्जनात्मक विकास हेतु समय-समय पर उन्हें निर्देशन एवं परामर्श भी देते रहते हैं। बाबू रामस्वरूप गुप्त जी ने ग्रामीण क्षेत्र के निर्धन बच्चे जो कानपुर में रहकर शिक्षा ग्रहण करने में असमर्थ थे उनकी उत्तम शिक्षा हेतु पुखरायाँ में एक हायर सेकेण्ड्री स्कूल की स्थापना सन् 1952 ई0 की जो वर्तमान समय में इण्टरमीडिएट कालेज एवं महाविद्यालय के रूप में है। इस विद्यालय की स्थापना हेतु भूमि नगर सेठ दानवीर स्व0 श्री रामजीलाल अग्रवाल एवं स्व0 रामकुमार अग्रवाल जी ने दान में दी थी। इण्टरमीडिएट कालेज व महाविद्यालय की स्थापना में प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाज सेवी व गांधीवादी विचारधारा के पोषक स्व0 श्री विश्म्मरनाथ द्विव्दी का विशेष योगदान रहा वह आजीवन संस्थापक, प्रबन्धक पद पर कार्य करते रहे। महाविद्यालय की छात्र संख्या लगभग 1500 रहती है जिसमें लगभग 70 प्रतिशत छात्रायें हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि क्षेत्र की छात्रायें उच्च शिक्षा के प्रति अत्यन्त जागरुक हैं। उनकी बढ़ती संख्या को देखकर ही महाविद्यालय ने यू.जी.सी. के सहयोग से महिला छात्रावास का निर्माण कराया है। महाविद्यालय का अपना विशाल भवन है, क्रीड़ा का विस्तृत मैदान है जिसमें सभी प्रकार के खेल केलने की व्यवस्था है। महाविद्यालय में उत्कृष्ट पुस्तकालय एवं वाचनालय है जिसमें लगभग 28,000 उच्च स्तर की पुस्तकें हैं। महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना, एन.सी.सी तथा रोवर्स-रेंजर्स की योजनायें भी संचालित हो रही हैं, जिनमें छात्र एवं छात्रायें रुचिपूर्ण भाग लेते है तथा पने कैरियर में सफलता प्राप्त करते हैं। अबी तक एक दर्जन से अधिक छात्र व छात्राओं ने यहाँ के प्राध्यापकों से निर्देशन प्राप्त कर शोध उपाधियाँ प्राप्त की हैं। महाविद्यालय में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं निर्धन मेधावी छात्रों हेतु विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्तियाँ, शुल्क मुक्ति एवं निर्धन कल्याण कोष आदि अनेक प्रकार से सहयोग की व्यवस्था है तथा उनके शैक्षिक उन्नयन हेतु विशेष प्रयास किये जाते हैं। महाविद्यालय में प्रतिवर्ष वार्षिक क्रीड़ा प्रतियोगितायें, सांस्कृतिक प्रतियोगितायें आयोजित की जाती हैं जिनमें स्थान प्राप्त छात्र-छात्राओं को विश्वविद्यालय एवं प्रदेश स्तर पर आयोजित प्रतियोगियाओं में भाग लेने हेतु भेजा जाता है। महाविद्यालय के परास्नातक व स्नातक विभागों द्वारा समय-समय पर अनेक कार्यशालाओं व विचार गोष्ठियों का आयोजन होता रहता है। महाविद्यालय के विकास हेतु अग्रिम सोपानों के रूप में अनेक योजनायें प्रस्तावित हैं जिनमें स्नातक स्तर पर विज्ञान संकाय एवं शिक्षा संकाय की स्थापना का प्रमुख लक्ष्य है जिससे नगर एवं क्षेत्र के छात्र-छात्राओं के अपने घर के निकट ही बी.एस.सी., बी.एड., एम.बी.ए. आदि करने की सुविधा उपलब्ध हो सके। महाविद्यालय के पास इतने आर्थिक संसाधन नही हैं जिससे वह स्वयं इन संकायों के विकास की व्यवस्थायें कर सके। इस हेतु महाविद्यालय परिवार जनप्रतिनिधियों, साधन-सम्पन्न महानुभावों, अभिभावकों, नागरिकों एवं छात्र-छात्राओं से हर प्रकार के सहयोग की अपेक्षा करता है। आशा है हमारी परिकल्पनायें शीघ्र ही साकार होंगी। इस दिशा में माननीय रामनाथ कोविद की सांसद निधि एवं श्री राजबहादुर सिंह चन्देल के विधायक निधि सहयोग से विज्ञान संकाय के लिये भवन बनकर तैयार हो चुका है। विगत सत्र में माननीय सांसद श्री घनश्याम अनुरागी जी ने अपनी अपनी सांसद निधि से एक हाल निर्माण हेतु 5 लाख रु0 की सहयोग राशि महाविद्यालय को प्रदान करने की अनुशंसा की है। नगरीय स्थित- सूर्यपुत्री यमुना के तट प्रदेश में स्थित पुखरायां कानपुर देहात का सबसे बड़ा नगर है। जो कालपी रोड तथा मुगल रोड एन.एच. 25 के मिलन बिन्दु पर अवस्थित है साथ ही लखनऊ-झाँसी मुम्बई रेल मार्ग का महत्वपूर्ण स्टेशन भी है। सांस्कृतिक दृष्टि से नगर वृत्त पौराणिक है यहां एक मन्दिर है जो पाण्डवों द्वारा निर्मित माना जाता है जिसके किनारे एक पुष्कर है, इसमें पाण्डवों सहित श्रीकृष्ण ने स्नान किया था ऐसी मान्यता है। इस पुष्कर के कारण ही इस नगर का नामकरण पुखरायाँ हुआ। जो भी हो इतना प्रमाणित है कि नगर की विद्यमानता प्राचीन है। आचार्य विनोवा भावे ने इस नगर से ही प्रदेश में सर्वप्रथम भू-दान यज्ञ का प्रवर्तन किया था।
1. The Mahavidyalaya aims to develop, expand and nurture the capabilities underlying in the students.
2. It aims not to make a student literate only but helping it to become a whole person.
3. Co-curricular activities are the integral part for the all round development of the students.
महाविद्यालय में छात्रवृत्ति की सुविधा उपलब्ध है जो यू.पी. सरकार द्वारा प्रदान की जाती है।
हमारे पास योग्य शिक्षकों का एक समूह है।
हमारी लाइब्रेरी में किताबें उपलब्ध हैं.
हमारे कॉलेज का लक्ष्य विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक पृष्ठभूमि के छात्रों को एक साथ लाकर उन्हें विविध शैक्षणिक और व्यावसायिक कार्यक्रम प्रदान करना है। कॉलेज अपने छात्रों को मजबूत एकीकृत महिलाओं के रूप में विकसित करने का प्रयास करता है और प्रत्येक व्यक्ति को एक जिम्मेदार नागरिक बनने, दूसरों और समाज की सेवा के लिए प्रतिबद्ध होने के लिए प्रेरित करता है। यह अपेक्षा करता है कि उसके छात्र सांस्कृतिक और पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति संवेदनशील हों और जो उनके भरण-पोषण में और योगदान दे सकें। यह प्रत्येक छात्र में वैदिक परंपरा के आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों की समझ विकसित करता है। इसका उद्देश्य नेतृत्व कौशल और एक-दूसरे के साथ स्वस्थ संबंध विकसित करना है।
कॉलेज में 600 से अधिक छात्र पढ़ते हैं।
हमारे पास अब तक 35000 से अधिक एलुमी हैं